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बुधवार, 15 मई 2024

शिरडी के साईं बाबा की यात्रा

साईं बाबा शिर्डी वाले 

मैं सागर सिंह अपने ब्लॉग में आप सभी का स्वागत करता हूँ। दोस्तों हम सभी महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला में पड़ने वाले 'सबका मालिक एक' का सन्देश देने वाले साईं बाबा की समाधी पर जाने का सौभाग्य मिला। हमने सोचा की इस जगह के बारे में आप सभी को भी बताया जाये। 


शिर्डी नाशिक से अहमदनगर से वेल क्ंनेक्टेड है यहाँ आप के महाराष्ट्र सरकार की बसें भी मिल जाएगी यहाँ रेलवे स्टेशन भी है जो साईं नगर शिर्डी के नाम से है जो की समाधी से लगभग ३ km. है यहाँ का नजदीकी रेलवे स्टेशन कोपरगाव है जो शिरडी से १४ km की दुरी पर है। 


यहाँ ठहरने की अच्छी सुविधा है आप लोगों को रुकने के लिए आप सभी साईं भक्त निवास जाकर ठहर सकते हैं और बहार होटल में भी रुक सकते हैं। बाकी आप साईं हेरिटेज विलेज भी जा सकते हैं जहाँ मूर्ति के द्वारा साईं के जीवन चरित्र को दिखाया गया हैं। 


हम सभी तो होटल में रुके थे सोमवार और बृहस्पतिवार को भीड़ जयादा होती है इस दिन आप को और दिनों से जयादा समय लग सकता है हम सभी को एक घंटा लगा दर्शन करने में। 


शाम के समय भूख लगी तो हमें साईं प्रसादालय के बारे में पता चला जहाँ हम सभी ने ५० rs का टोकन ले कर भर पेट भोजन किया हम लोग शिर्डी दो दिन रहे हम लोगो ने वही प्रसादालय में ही भोजन किया वहां १० rs के टोकन भी है ५० rs वाले टोकन में कुर्सी पर बैठ कर खाने की व्यवस्था है। 


यहाँ फ्री में ऑटो के झांसे से बचिएगा जैसे ही आप बस से उतरते है वैसे ही आप को एजेंट घेर लेंगे और आप को सस्ते में होटल बोल कर जैसे ही आप होटल लेंगे आप को फ्री ऑटो में ले जाने के लिए बोल कर अपने सेटिंग वाले प्रसाद की दुकान पर पंहुचा देंगे जहाँ ऊँचे दाम पर आप को  प्रसाद चद्दर आदि खरीदवा देंगे जहाँ आप का पैसा खर्च करवा देंगे साई बाबा की समाधी पर कुछ भी नहीं चढ़ता है आप केवल वहां माथा टेक सकते हैं। 



बाकि वहां आप को नास्ते में वोडा पाव पोहा और भी बहुत कुछ मिलेगा।

मैं आशा करता हूँ कि आप सभी को इस ब्लॉग से जानकारी मिली होगी आप सभी ब्लॉग को अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों के साथ शेयर करें। अगर आप सभी को कोई जानकारी चाहिए तो आप निचे कमेंट कर सकते हैं। ब्लॉग पढ़ने के लिए आप सभी का मई हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।  हमारे नए ब्लॉग की नोटिफिकेशन के लिए सब्सक्राइब करना न भूलें। 

 बाकि आप यहाँ से त्र्यंबकेश्वर घृष्णेश्वर और भी व्यू पॉइंट को एक्स्प्लोर कर सकते हैं वहां आप को कार रेंटल या शेयर टैक्सी या बस से भी जा सकते है अगर आप शिर्डी जा रहे है तो न्याय के देवता शनि धाम शिंगड़ापुर अवश्य जाएँ। 

  

गुरुवार, 11 अप्रैल 2024

SANT KABIR MAHA PARINIRVAN STHALI- MAGHAR

 संत कबीर की समधि 

नमस्कार मैं सागर सिंह अपने ब्लॉग में स्वागत करता हूं। दोस्तो हम आज आप लोगो को बताएँगे की आप मगर कैसे पहुंचे ? मगहर पहुंचने के लिए आप मगर रेलवे स्टेशन से आप सीधे पहुँच सकते है यहाँ से संत कबीर महा परिनिर्वाण स्थलि पहुँच सकते है जो रेलवे स्टेशन से मात्र २०० मीटर है।

 


यहाँ जैसे ही आप मुख्य द्वार से प्रवेश करते है तो सबसे पहले आप को संत कबीर जी मूर्ति लगी हुई मिलती है जो की अस्टधातु की बानी है। इससे आगे बढ़ने पर आप को संत कबीर जी की समाधि  और उसी के बगल में आप कबीर जी का मजार भी देखने को मिलेगा। 


यह स्थान आमी नदी के किनारे है एक किनारे आप आमी नदी तो बगल में ये अति सुन्दर और रमणीय स्थान है यहाँ आप अलंकृत बागवानी का आनंद उठा सकते है जहा तरह तरह के फूल आप का ध्यान आकर्षित करेंगे। 


इसके बाद आप तना बाना कक्ष को देख सकते है जहा आप कबीर जी के जीवन के घटनाओ का तस्वीर के माध्यम से दिखाया गया है साथ में कबीर जी ध्यान योग के बारे में भी चित्र के माध्यम से दिखाया गया है। 

यहाँ हर वर्ष खिचड़ी के त्यौहार वाले दिन देश भर से लोग आते है और कबीर जी को श्रद्धा की खिचड़ी चढ़ाते हैं। 

 

शुक्रवार, 31 मार्च 2023

पूर्णागिरी धाम कैसे जाएं

 यात्रा पूर्णागिरी धाम की 

मैं सागर सिंह आप सभी का अपने ब्लॉग में स्वागत करता हूं। आज हम लोग माता पूर्णागिरी का दर्शन करने आएं हैं। पूर्णागिरी उत्तराखंड के चम्पावत जिला में स्थित है जिसकी चम्पावत से दूरी लगभग 90 किमी है। पूर्णागिरी पहुंचने के लिए आप सब को पहले टनकपुर पहुंचना है क्योंकि यात्रा की शुरूआत आपको टनकपुर से ही करना है। टनकपुर रेलवे रुट से जुड़ा हुआ है आप बरेली होकर टनकपुर पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से आप बरेली -पीलीभीत होकर या बहराइच होकर भी टनकपुर पहुंच सकते हैं।



टनकपुर को केंद्र में इसलिए रखा जा रहा है क्योंकि यहां से आगमन और प्रस्थान दोनों आपको करना है। जहां तक आपको यहां गेस्टहाऊस,होटल भी मिल जाएंगे और ज्यादातर होटल बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के पास हैं क्योंकि यहां बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन दोनों पास ही है।



टनकपुर पहुंचने के बाद आप चाहें तो सीधे पूर्णागिरी के लिए अपनी यात्रा के लिए टैक्सी कर सकते हैं जो आपको ठूलीगाड़ लें जाकर छोड़ देगी वहां से आपको भैरव मंदिर तक टैक्सी मिल जाएगी। अगर आपको कोई शारीरिक अस्वस्थता नहीं है तो मैं ये कहुंगा कि आप ठूलीगाड़ से भैरव मंदिर की यात्रा प्राकृतिक दृश्यों का आनन्द लेते हुए पैदल ही करें हां अगर चलने में दिक्कत हो तो‌ आप टैक्सी कर लें।

टनकपुर से पूर्णागिरी मंदिर की दूरी 20 किमी है जो ठूलीगाड़ पहुंचने के बाद भैरव मंदिर और भैरव मंदिर से पूर्णागिरी मंदिर के लिए जय माता दी बोल कर चढ़ाई करें। रास्ते में पहाड़ी और शारदा नदी आपका मन मोह लेगी।



पूर्णागिरी का इतिहास

पूर्णागिरी मंदिर अति प्राचीन है यह अन्नपूर्णा चोटी की शिखर पर स्थित है कथा के अनुसार जब भगवान शंकर दक्ष प्रजापति के यज्ञ विध्वंस के बाद माता सती के शरीर को लेकर विचरण कर रहे थे तब भगवान विष्णु ने शिव जी को इस दुःख से निकालने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को चक्र से विखण्डित कर दिया। उसी शरीर के जहां जहां टुकड़े गिरे वहां वहां शक्ति पीठ बने उन्हीं शक्ति पीठ में से एक पूर्णागिरी मंदिर है जहां माता सती की नाभि गिरी थी और जिसके पश्चात यहां यह मंदिर बना इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां आप सच्चे मन से जो भी मांगते हैं माता पूर्णागिरी उसे अवश्य पूरा करतीं हैं।


पूर्णागिरी मेला

पूर्णागिरी मेला की शुरूआत चैत्र रामनवमी से प्रारंभ होकर तीन महीने तक चलता है अगर भीड़ से बचना है तो कृपया रामनवमी में न जाए क्योंकि इस समय पूरे भारत से लोग पहुंचते हैं और भीड़ ज्यादा हो जाती है। हां नवमी में यात्रा करते समय टैक्सी की दिक्कत नहीं होती है। बाकी समय में दिक्कत तो नहीं होती है लेकिन टैक्सी आपको ही समझना पड़ता है।


नवमी में पब्लिक खूब मिलती है तरह से तरह से लोग माता के दरबार पहुंचते हैं कोई साइकिल से तो कोई मोटर साइकिल से यहां स्वयं के वाहन से भी आप जा सकते भैरव मंदिर पर पार्किंग मिल जाएगी। भैरव मंदिर से मंदिर के पहले आपको 2 किमी तक आपको रहने नहाने खाने आदि की सुविधा मिल जाएगी लेकिन ये रहने वाली व्यवस्था आपको गद्दे मिल जाएंगे सामूहिक रुप से रहना होगा।

यात्रा का सही ढंग

सबसे पहले आपको भैरव‌ मंदिर से ही यात्रा शुरू करनी यहां से आपको भैरव जी से आगे की यात्रा के लिए आज्ञा लेना है उसके बाद जय माता दी बोलते हुवे आपको मंदिर के लिए चढ़ाई शुरू कर देना है आपको पहले माता पूर्णागिरी का दर्शन करना है यहां विशेष रुप से माता काली की पूजा होती है उपर पहुंचने के बाद आपको माता की मूर्ति मिलेगी और उसी के पास आपको एक गड्ढा सा दिखेगा बताते हैं कि नाभि यहीं पर गिरी थी। यहां दर्शन करने के बाद आप वापसी करेंगे वापसी में आप काली मंदिर और झूठे का मंदिर का दर्शन करेंगे।


इसके बाद आप भैरव मंदिर लौटे भैरव मंदिर पहुंच कर भैरव जी को खिचड़ी चढ़ाएं और अपने परिवार की रक्षा के लिए प्रार्थना करें। यहां तक आपकी यात्रा पूर्ण होती है लेकिन अभी आपकी यात्रा तभी पूर्ण होगी जब आप नेपाल स्थित आप सिद्ध नाथ मंदिर का दर्शन कर लेंगे।

सिद्धिनाथ मंदिर, नेपाल

जब आप पूर्णागिरी मंदिर से वापस ठूलीगाड़ से निकलेंगे तो आपको टैक्सी वाले सिद्धिनाथ स्टैंड पर ही वापस छोड़ेंगे यहां से आप ई रिक्शा आप शारदा बैराज पर छोड़ देंगे और वहां से ‌‌आप पैदल शारदा बैराज जैसे पार करेंगे वहां से आपको मोटर साइकिल वाले आपको जहां से मंदिर के पास छोड़ देंगे।



बताते हैं कि सिद्धनाथ माता के अनन्य भक्त थें और प्रतिदिन माता का दर्शन वो पैदल चलकर करने आते थे एक दिन माता स्नान कर रहीं थीं उसी समय वो दर्शन करने आ गए और माता ने समझा कोई और आया है इसी पर क्रोध कर माता ने कहा जो कोई भी हो उसके सिर के टुकड़े हो जाएं‌ लेकिन जब माता को पता चला कि वो उनके भक्त सिद्धनाथ हैं तब माता ने आशिर्वाद दिया कि मेरे दर्शन का फल तभी मिलेगा जब कोई सिद्धनाथ का दर्शन कर लेगा।

तभी से पूर्णागिरी जाने वाले भक्त सिद्धनाथ जरुर जातें हैं।



गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023

Kamakhya yatra

 माता कामाख्या मंदिर यात्रा 

असम टूर- अक्टूबर-2022

दोस्तों हम सभी अपने रेलवे स्टेशन खलीलाबाद से कामाख्या स्टेशन पर सुबह पहुंच गए। वहां पहुंच कर पहले हम सभी लोगों ने चाय पिया उसके बाद मंदिर तक कैसे पहुंचे इसके लिए हम लोगों ने बात चीत कर एक टैक्सी बुलाए और टैक्सी से 1 घण्टे में हम मंदिर पहुंच गए।

मंदिर पहुंचने के बाद हम लोग सबसे कमरा लिए और कमरा लेकर हम लोग उमानंद मंदिर दर्शन के लिए उमानंद घाट पहुंचे लेकिन उस दिन हम लोग का भाग्य साथ नहीं ब्रह्मपुत्र नदी में अत्यधिक पानी के कारण मिनी क्रुस चल नहीं रही थी। हम लोग थोड़ा परेशान हूं फिर हम सभी लोगों ने निश्चय किया वहां से पूर्व का तिरुपति मंदिर जाने के लिए।

उमानंद घाट से हम लोग टैक्सी लिए फिर पहुंचें पूर्व का तिरुपति मंदिर वहां हम लोग जब पहुंचे तो‌ उस समय में गेट बंद था जो 8:30 बजे दर्शन के लिए खुला।

अंदर पहुंच कर हम लोगों ने सबसे पहले दर्शन किए उसके बाद मंदिर परिसर के बागिचे में यादगार फोटो खींचा उसके बाद हम लोगों ने थोड़ी थकान मिटाई।

मंदिर पूरी तरह दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है वहां पहुंच कर ऐसा लगता है कि मन पूरा शांत हो गया।

मंदिर से निकल कर हम लोगों वापस कामाख्या मंदिर परिसर में आ गए उसके बाद हम लोगों ने दोपहर का भोजन लिया और कामाख्या मंदिर के आसपास जो मंदिर मौजूद थे उनमें बगलामुखी मंदिर का दर्शन किए जो वहीं कामाख्या मंदिर के पास ही था।

उसके बाद नीलगिरी पीक जो बंगला मंदिर के आगे जाने पर था वहां पहुंचने में थोड़ा समय जरूर लगा क्योंकि अगला मंदिर पहाड़ी के शिखर पर था इस लिए थोड़ा समय लगा।

फाइनली हम लोग पहुंचे भुवनेश्वरी देवी के मंदिर वहां माता को चढ़ाने के लिए प्रसाद आदि लेकर दर्शन किया गया उसके बाद नीलगिरी पीक से कामाख्या शहर और ब्रह्मपुत्र नदी का फैलाव साफ दिख रहा था।

वहां से वापस होते हम लोगों को शाम हो गया और हम लोग थोड़ा आराम किए उसके बाद शाम को‌ हम लोग पहुंचे कामाख्या मंदिर में शाम के समय 7:30 बजे रात में मंदिर का नजारा अलग ही था। हम लोगों ने फोटो खींचा उसके बाद रात में ही जितना टहल पाएं हम लोग टहलने के बाद वापस कमरे पर आ गए।

सुबह स्नान करने के बाद हम लोग मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचे लेकिन साधारण लाईन और वीआईपी लाईन दो प्रकार की थी हम लोग साधारण लाईन से दर्शन करने का निश्चय किए। क्योंकि वीआईपी लाईन‌ का शुल्क था। हम लोग साधारण लाईन से दर्शन के लिए लगें हम लोग को‌ साधारण कतार से दर्शन करने में लगभग 12 घण्टे का समय लगा क्योंकि मंदिर दोपहर में दर्शन करने के लिए बंद कर दिया जाता है। पुनः हम लोगों की लाईन चली और 4:30 बजे हम लोग दर्शन कर मंदिर के गर्भ गृह से बाहर आएं।

उसके बाद तारा देवी का दर्शन किए। जो पास में ही हैं।

हम लोग सुबह वहां से निकल कर उमानंद घाट पहुंचे क्योंकि लोगों के अनुसार जब तक उमानंद का दर्शन न कर लिया जाए तब कामाख्या देवी के दर्शन का फल नहीं मिलता। फाइनली हम लोग मिनी क्रुस से उमानंद मंदिर जो ब्रह्मपुत्र नदी के टीले पर जिसे पीकाक आईलेंड भी बोलते हैं वहां हम लोग दोपहर में पहुंचे और दर्शन कर वापस उमानंद घाट आ गए।

कैसे पहुंचे-आप कामाख्या पहुंचने के लिए गुवाहाटी आइए ये लगभग देश के सभी स्टेशन से जुड़ा हुआ है। आप कामाख्या स्टेशन सीधे भी पहुंच सकते हैं।

नियरेस्ट स्टेशन -कामाख्या 

नियरेस्ट एयरपोर्ट -गुवाहाटी 

खास त्योहार -अंबूवाची मेला,(मई या जून)

ब्लॉग पढ़ने के लिए धन्यवाद ।

Kamakhya devi video









शिरडी के साईं बाबा की यात्रा

साईं बाबा   शिर्डी वाले  मैं सागर सिंह अपने ब्लॉग में आप सभी का स्वागत करता हूँ। दोस्तों हम सभी महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला में पड़ने वाले &#...